रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर नामांतरण की प्रक्रिया को सरल एवं समयबद्ध बनाया गया है। इसके लिए छत्तीसगढ़ भू राजस्व संहिता के प्रावधानों में संशोधन किए गए हैं। संशोधन के अनुसार अब नामांतरण का आवेदन प्राप्त होने के 7 दिवस के भीतर पटवारी जांच प्रतिवेदन संलग्न कर ई-नामांतरण पोर्टल के माध्यम से प्रतिवेदन अग्रेषित करेंगे। पटवारी द्वारा विलंब किए जाने पर प्रकरण स्वतः अग्रेषित हो जाएगा। हितग्राहियों को नामांतरण प्रक्रिया के दौरान एसएमएस से सूचना भेजी जाएगी। तहसीलदार द्वारा पक्षकारों को सूचना जारी करने तथा दावा आपत्ति आमंत्रित करने के लिए भी समय-सीमा निर्धारित कर दी गई है। इसी प्रकार अविवादित नामांतरण के प्रकरण का निर्धारित समयावधि में निराकरण नहीं होने पर संबंधितों के विरूद्ध छत्तीसगढ़ लोक सेवा गारंटी अधिनियम के प्रावधान लागू होंगे। वर्तमान में किए गए संशोधन के अनुसार नियमों में भूमि स्वामी को पंजीयन के समय ही नामांतरण के विषय में ग्राम पंचायत या तहसील कार्यालय का विकल्प दिया गया है। भूमि स्वामियों को एसएमएस के माध्यम से उनके मोबाइल फोन पर सूचना भी प्रदान किया जाएगा। पंजीयन के तत्काल बाद इसकी सूचना तत्काल संबंधित हल्का पटवारी राजस्व निरीक्षक और तहसीलदार की ऑनलाइन आईडी में भेज दिया जाएगा। इस सूचना पर पटवारी के द्वारा सात दिवस के भीतर जांच प्रतिवेदन संलग्न कर इसे अग्रेषित किया जाएगा। पटवारी द्वारा विलंब किए जाने पर प्रकरण स्वतः अग्रेषित भी हो सकेगा। तहसीलदार द्वारा आम सूचना हेतु इश्तहार प्रकाशित किया जाएगा, जिससे 15 दिवस के भीतर दावा आपत्ति प्रस्तुत किए जा सकेंगे। तत्पश्चात आदेश पारित किया जाएगा, जिसके पालन में बी-वन, खसरा, नक्शा एवं किसान किताब को अद्यतन करके सत्यापित किया जाएगा। इसकी सूचना भी हितग्राही को एसएमएस के माध्यम से दी जाएगी। लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत प्रावधानित समय सीमा से बाहर होने पर, उक्त प्रकरण की सूचना हितग्राही को और पीठासीन अधिकारी को एसएमएस के माध्यम से प्राप्त हो सकेगी। इस विषय में राज्य सरकार ने सभी संभाग आयुक्त एवं कलेक्टर को आवश्यक निर्देश भी प्रसारित किए हैं। नामांतरण के प्रकरणों की प्रत्येक सप्ताह समीक्षा की जाएगी। राजस्व पखवाड़ा का आयोजन कर के हितग्राहियों को अद्यतन अभिलेख की प्रति प्रदान की जा सकेगी। गिरदावरी के समय राजस्व अभिलेख को ग्राम वार पढ़कर सुनाया भी जाएगा। नामांतरण की प्रक्रिया को सरल एवं समयबद्ध करने की दिशा में राज्य शासन द्वारा यह महत्वपूर्ण संशोधन किया गया है। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ भू राजस्व संहिता के तहत भूमि स्वामियों को अपनी भूमि का खरीद बिक्री आदि के माध्यम से अंतरण करने का अधिकार है। संयुक्त परिवार के विभाजन के फल स्वरुप भी स्वामित्व में परिवर्तन होता है। भूमि स्वामी द्वारा भविष्य में होने वाले पारिवारिक विवाद के निराकरण हेतु भी अपने जीवन काल में ही बटवारा भी किया जाता है। भूमिस्वामी की मृत्यु होने पर भी अभिलेख में सुधार की जरूरत होती है। इन समस्त परिस्थितियों में भूमि से संबंधित राजस्व अभिलेखों को अद्यतन करना आवश्यक होता है। राज्य की इस जिम्मेदारी के प्रति राजस्व विभाग संवेदनशील है, यद्यपि लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत राजस्व विभाग के कुछ सेवाओं को अधिसूचित किया गया है, किंतु इसके बावजूद भूमि स्वामियों के भूमि अंतरण संबंधित सेवाओं में समय सीमा के भीतर कई बार कार्यवाही नहीं होती है। इसे ध्यान में रखते हुए नामांतरण के नियमों में संशोधन की आवश्यकता महसूस की गई।
Author Profile

Latest entries
बिलासपुर2022.05.16थानेदारों के हुए तबादले, परिवेश को तीसरी बार मिला सिविल लाइन की जिम्मेदारी, शीतल सितार की हुई कोतवाली में वापसी
बिलासपुर2022.05.16फांसी पर लटक गया था युवक, वक्त पर पहुंच गई पुलिस, रस्सी काटकर बचा ली जान
बिलासपुर2022.05.14जोन क्रमांक 5 में शिविर के ज़रिए समस्या का किया गया निवारण, साफ-सफाई, कचरा वाहन जैसी समस्याओं का किया गया त्वरित निराकरण
बिलासपुर2022.05.14बारिश से पहले नाले – नालियों को साफ करने निगम ने छेड़ा अभियान, अब तक 71 नालों की सफाई पूरी, 15 नालों में सफाई जारी