ट्विन टावर चंद सेकेंड में ही ध्वस्त, ग्रीन बेल्ट, चिल्ड्रन पार्क और शॉपिंग कांप्लेक्स की जमीन बना था टावर, 2 सौ करोड़ खर्चकर हजार करोड़ कमाने के फिराक में था बिल्डर

नोएडा। भ्रष्टाचार का ट्विन टावर तो चंद सेकेंड में ही ध्वस्त हो गया लेकिन उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई अभी बाकी है जिनके शह पर बिल्डर आर के अरोड़ा ने बच्चों के पार्क, शापिंग कांप्लेक्स और ग्रीन बेल्ट की जमीन पर गगनचुंबी टावर खड़ा कर दिया। बिल्डर इन दो अवैध टावरों पर दो सौ करोड़ रुपए खर्च कर हजार करोड़ रुपए कमाने की योजना बनाई थी। खर्च में अधिकारियों को दिया गया नजराना भी शामिल है। अनुमति के बदले में कुछ बड़े अधिकारियों को टावर में फ्लैट दिया जाना था।

भ्रष्टाचार की इमारत ट्विन टावर आखिरकार चंद सेकंड के अंदर जमींदोज हो गया। 13 साल में बनाई गई इस इमारत को ध्वस्त होने में 13 सेकेंड भी नहीं लगे। अनुमान के मुताबिक करीब 9 से 10 सेकंड में ही पूरी बिल्डिंग गिर गई। बिल्डिंग गिरते ही चारों ओर मलबे का धुआं ही धुआं देखने को मिला। जब ट्विन टावर को गिराया गया तो यहां मौजूद लोगों को एक तेज धमाका सुनाई दिया, लोगों को धरती कांपती हुई महसूस हुई। देखते ही देखते पूरे इलाके में धूल और धुएं का गुबार छा गया। फिलहाल धूल को कम करने का काम शुरू हो चुका है। इसके लिए पहले से तैनात की गई स्मोक गन्स का सहारा लिया जा रहा है। इसके अलावा पानी का छिड़काव भी किया जा रहा है। स्पॉट पर सी इन डी वेस्ट उठाने के लिए क्विक रिस्पांस टीम पुहंच गई है। टीम को उम्मीद है कि 1 घंटे के अंदर आस पास रोड का सारा कंस्ट्रक्शन वेस्ट क्लियर कर दिया जाएगा।
रविवार को दोपहर ढाई बजे जब ट्विन टावर में धमाका हुआ तो यह उन सैकड़ों फ्लैट खरीदारों के जीत की गूंज थी, जिन्होंने चंदा करके 10 साल तक कानूनी लड़ाई लड़ी और भ्रष्टाचार की बुनियाद पर खड़ी गगनचुंबी इमारत को जमीन पर ला दिया। ट्विन टावर को बनाने में सुपरटेक ने 200 करोड़ रुपए खर्च किए थे और 1000 करोड़ रुपए आमदनी की उम्मीद थी।
सुपरटेक को सेक्टर 93ए में 23 दिसंबर 2004 को एमरॉल्ड कोर्ट के नाम पर भूखंड आवंटित हुआ था। जिसमें 14 टावर बनाने का नक्शा पास हुआ था। इसके बाद भ्रष्ट अधिकारियों की शह पर योजना में तीन बार संशोधन किया गया और दो नए टावर की मंजूरी नियम_कानून को तक पर रखकर दे दी गई। ये दोनों नए टावर ग्रीन पार्क, चिल्ड्रन पार्क और दो मंजिला कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स की जमीन पर बनाए गए। फ्लैट खरीदारों ने इसके खिलाफ पहली बार मार्च 2010 में आवाज उठाई और लड़ाई इलाहाबाद हाईकोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक पहुंची। दोनों ही अदालतों से टावर को गिराने का आदेश दिया।
सुपरटेक ने करीब 15 साल पहले एमरॉल्ड कोर्ट प्रॉजेक्ट की शुरुआत की थी। इसमें 3, 4 और 5 बीएचके के फ्लैट हैं। यह सोसायटी नोएडा और ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे के नजदीक है। मौजूदा समय में एक फ्लैट की कीमत 1 से 3 करोड़ रुपए तक है। शुरुआत में बिल्डर ने नोएडा अथॉरिटी के सामने जो प्लान दिया था उसके मुताबिक 9 मंजिला 14 टावर बनाए जाने थे। इसके बाद इसमें तीन बार संशोधन किया गया। 2012 में सुपरटेक ने 14 की जगह 15 टावर बनाने का फैसला किया और 9 से बढ़ाकर 14 मंजिल करने का प्लान बनाया। 40 मंजिला दो टावर बनाने का भी प्लान बनाया गया।
हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में बिल्डर को दोषी पाया और फ्लैट खरीदारों के हक में फैसला दिया। ट्विन टावर के निर्माण में नेशनल बिल्डिंग कोड के नियमों का उल्लंघन किया गया। सुपरटेक एमरॉल्ड कोर्ट में जब लोगों ने फ्लैट खरीदा तो ट्विन टावर के स्थान पर ग्रीन एरिया का वादा किया गया था। सुविधाओं को देखते हुए खरीदारों ने एमरॉल्ड कोर्ट प्रॉजेक्ट में फ्लैट बुक कराए। लेकिन बाद में बिल्डर ने नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों से साठगांठ करके यहां ट्विन टावर खड़े कर दिए। नियमों के तहत टावर के बीच की दूरी 16 मीटर होनी चाहिए, लेकिन यहां पर सिर्फ 9 मीटर छोड़ी गई। यहां ट्विन टावर का निर्माण शुरू होने पर खरीदारों को धोखे का अहसास हुआ और उन्होंने कोर्ट का रुख किया।

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