थानों में मनमानी, SP और IG का जनदर्शन बंद, कहां जाए फरियादी ..? DGP के निर्देश की उड़ रही है धज्जी…

बिलासपुर। जिले के थानों में थानेदार एक गिरोह की सरगना की तरह काम कर रहे है। इधर SP और IG का जनदर्शन बंद है। थानों से प्रताड़ित आम आदमी अपनी समस्या लेकर आखिर जाएं तो जाएं कहां? यदि जनदर्शन होता तो शायद रतनपुर की घटना नहीं घटती और समय रहते पीड़िता को न्याय मिल जाता।
जिले में पुलिसिंग कैसे चल रही है इसका एक प्रत्यक्ष प्रमाण रतनपुर की घटना से स्पष्ट हो गया है। यदि बारीकी से निरीक्षण किया जाए तो हर थानों से ऐसी घटनाएं सामने आ जाएगी। थानों में लोग अपनी समस्या लेकर जा रहे है तो उनकी सुनी नहीं जा रही है। थानों में पदस्थ पुलिसकर्मी रिपोर्ट दर्ज करने के लिए भी बख्शीस ले रहे है, मुलाहिजा कराने के लिए दो दो हजार रुपए वसूल ले रहे है। चोरी की रिपोर्ट नहीं लिखा जा रहा है और लिख रहे है तो पुलिस के कर्मचारी उस केस में तब तक ध्यान नहीं देते जब तक उन्हें कुछ बख्शीश नहीं मिल जाता। जिस मामले में प्रार्थी से कुछ नही मिलता या मिलने की उम्मीद नहीं रहती उस केस को हाथ तक नहीं लगा रहे है। थानों की मनमानी रोकने और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए पुलिस विभाग में जनदर्शन की शुरुआत हुई थी। प्रदेश के DGP ने सभी जिलों के एसपी और रेंज के आईजी को सप्ताह में एक दिन जनदर्शन लगाने के निर्देश दिए थे। बिलासपुर जिले और रेंज में कुछ दिनों तक तो इस आदेश का पालन हुआ लेकिन नए आईजी और एसपी एक आते ही जनदर्शन समाप्त हो गया। जब से बीएन मीना IG और संतोष कुमार सिंह एसपी बनके आए है तब से एक भी जनदर्शन का आयोजन नही किया गया है। इन पुलिस अधिकारियों ने अपने ही उच्च अधिकारी के निर्देश को रद्दी की टोकरी में डाल दिया है। डीजीपी के आदेश की धज्जियां उड़ा रहे है। इधर फरियादी भी भटक रहे है। थानों से प्रताड़ित पीड़ित लोग अपनी समस्या लेकर किसके पास जाएं। रतनपुर में जिस रेप पीड़िता को लेकर इतना बवाल मचा हुआ है वह डेढ़ महीने से चल रहा है, पीड़िता न्याय के लिए भटक रही थी। यदि SP और IG जनदर्शन लगाते तो पीड़िता को न्याय मिल सकता था और बेवजह के बवाल से बचा जा सकता था।

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