कांग्रेस का वामपंथीकरण या वामपंथियों का कांग्रेस में घुसपैठ, अभी तो ये अंगड़ाई है, 29 में लड़ाई है

नीरज धर दीवान

बिलासपुर। 2024 का लोकसभा चुनाव अपने पूरे शबाब पर है। दो चरण की वोटिंग हो चुकी है तीसरे चरण की वोटिंग 7 मई यानी मंगलवार को होने जा रहा है। भाजपा, कांग्रेस से लेकर सभी छोटी बड़ी राजनैतिक पार्टियां अपनी अपनी जीत को लेकर दावे प्रतिदावे कर रहे है। इस बीच एक बात साफ तौर पर नजर आ रहा की ज्यादातर पार्टियों और उनके नेता यहां तक लोकसभा चुनाव लड़ रहे लगभग सभी प्रत्याशी चुनाव परिणाम क्या होगा जान रहे है। कांग्रेस या गठबंधन दल के नेता खुलेआम बोल रहे है की ये चुनाव तो वो 2029 की तैयारी के लिए लड़ रहे है। सभी ये मान के चल रहे है की पिछले दो चुनाव तरह ये चुनाव भी नरेंद्र मोदी का है। लेकिन 2029 का लोकसभा चुनाव बेहद टकरावभरा होगा, विपक्षी पार्टियों के लिए करो या मरो वाला चुनाव होगा। इसका नमूना इस चुनाव में बहुत हद तक दिखाई दे रहा है। दरअसल कांग्रेस पार्टी तेजी से वामपंथीकरण की और बढ़ रही है। कांग्रेस में वामपंथियों की तरह सोच रखने वाले नेताओं का वर्चस्व बढ़ गया है। अभी सारे फैसले यही लोग ले रहे है। इसका नतीजा ये हो रहा है की कांग्रेस में दक्षिणपंथियों की तरह सोच रखने वाले या मध्यमार्गी सोच रखने वाले नेता हाशिए पर चले गए है। यही कारण है की कांग्रेस के कई बड़े नेता पलायन करके दूसरी पार्टियों का रुख कर चुके है, कुछ जाने की तैयारी में है। कुछ बड़े नेता अभी भी उम्मीद में संघर्ष कर रहे है। लेकिन जिस तरह से कांग्रेस में वामपंथी नेता निर्णय ले रहे है, उनका वर्चस्व बढ़ रहा है उससे उन्हे बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं है। लिहाजा देर सबेर इन नेताओं का भी पार्टी से पलायन तय है। 2029 के लोकसभा चुनाव तक कांग्रेस पूरी तरह से वामपंथी नेताओं के कब्जे में होगा। या ये कहें की पार्टी का नाम कांग्रेस ही रहेगा और पार्टी का चुनाव चिन्ह भी पंजा ही रहेगा लेकिन कांग्रेस की रीति नीति, रणनीति सबकी वामपंथी नेता तय करेंगे। चुनाव भी वामपंथी सोच रखने वाले युवा नेता ही लड़ेंगे। कुछ कांग्रेस पुराने के नेता पार्टी में बने रहेंगे लेकिन वो भी वामपंथी नेताओं के सामने घटने टेक चुके होंगे। यानी उनका नेतृत्व स्वीकार कर चुके होंगे।

दरअसल वामपंथी नेताओं को एक बात समझ में आ गई है की ये देश उन्हे उनके झंडे और एजेंडे पर स्वीकार नहीं करने वाली है, चाहे वे कितना भी सिर पटक ले। अब उनके पास दो रास्ते थे। एक अपनी रीति नीति को परदे के पीछे रखकर कोई नई पार्टी बना लें या फिर किसी दूसरी पार्टी में घुसपैठ करके उस पर कब्जा कर ले। पहले विकल्प के रूप में आम आदमी पार्टी बनी थी लेकिन समय से पहले एक्सपोज उसके नेता एक्सपोज हो गए। निकट भविष्य में आप पार्टी किसी पार्टी में मर्ज हो जाए तो आश्चर्य की बात नहीं है। अब उनके पास दूसरे विकल्प के रूप में दूसरी पार्टी में घुसपैठ करना ही रह गया था। भाजपा में घुसपैठ करना संभव नहीं था लिहाजा कांग्रेस को अपना निशाना बनाया है। वामपंथियों को यहां घुसपैठ करने के लिए सबसे अनुकूल समय और नेता इस वक्त मौजूद है। वामपंथियों का घुसपैठ कराने के लिए सबसे कमजोर कड़ी के रूप में राहुल गांधी से बेस्ट नेता उन्हे नहीं मिल सकता था। लिहाजा राहुल गांधी के जरिए कांग्रेस में वामपंथियों का घुसपैठ बदस्तूर जारी है जो आगे भी जारी रहेगा। जबकि दूसरी ओर कांग्रेस से दक्षिणपंथियों का पलायन भी जारी है। संभव है 2029 की लोकसभा चुनाव आते तक यहां दक्षिण पंथियों की तरह सोचने वाला कोई नेता ही न हो। आगे चलकर भाजपा की पहचान दक्षिण पंथी पार्टी के रूप में रहेगी और कांग्रेस की पहचान दक्षिणपंथी पार्टी के रूप में रहेगी। जबकि कांग्रेस एक ऐसी पार्टी है जिसमे दोनो तरह की सोच रखने वाले लोग है। यहां एक ग्रुप मध्यमार्गी सोच रखने वाले नेताओं की भी है। इसीलिए कांग्रेस को समुद्र कहा जाता है।

दूसरी ओर वर्तमान में जो कम्युनिस्ट पार्टियां है वो इतिहास बन चुकी होगी। जब तक उनके बुजुर्ग नेता जिंदा रहेंगे पार्टी जीवित रहेगी। उसके बाद इन पार्टियों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा। वैसे भी पिछले कई लोकसभा चुनाव में उनका वोटिंग प्रतिशत लगातार गिर रहा है। अब उनके राष्ट्रीय पार्टी होने की मान्यता पर भी खतरा मंडराने लगा है। इस चुनाव के बाद चुनाव आयोग आदेश जारी करके राष्ट्रीय पार्टी की मान्यता खत्म कर दे तो आश्चर्य की बात नहीं है। कुल मिलाकर 2024 के चुनाव को कांग्रेस सेमीफाइनल मान के लड़ रही है और उनकी तैयारी 2029 की है। इस लिहाज से कहा जा सकता है 2024 तो अंगड़ाई है, 2029 में लड़ाई है। तब तक देश में भाजपा सरकार के 15 साल पूरे हो चुके होंगे। भाजपा और उसकी सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेसी का लहर चल सकता है। वामपंथी नेताओं को इसी लहर का इंतजार रहेगा। क्योंकि देश की सत्ता पर लगातार 15 साल तक टिके रहना बड़ी बात है। ये अलग है की भाजपा की रणनीति इस पांच साल में क्या रहेगी ? 2029 के संभावित एंटी इनकंबेसी लहर को उनके नेता कैसे डायलूट करते है ये आने वाला समय बताएगा। फिलहाल 2024 की आम चुनाव में सब भाजपा बधाई दे सकते है।

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