जिला पंचायत सामान्य सभा की बैठक : फिर उठा फ़दहाखार का फेंसिंग घोटाला, DEO हुए निरुत्तर, नहीं दे पाए स्कूल मरम्मत की जानकारी

बिलासपुर। जिला पंचायत सामान्य सभा की बैठक में फेंसिंग घोटाले को लेकर वन विभाग के अधिकारी दूसरी बार घिर गए। अधिकारियों ने जल्द जांच कर रिपोर्ट देने का आश्वासन सदस्यों को दिया है। इसी तरह स्कूल मरम्मत को लेकर भी सदस्यों ने DEO को घेरा। DEO कई सवालों का जवाब नहीं दे पाए।
जिला पंचायत सभाकक्ष में बुधवार को सामान्य सभा की बैठक हुई। बैठक के दौरान के दौरान खेती किसानी का समय होने के कारण कृषि, उद्यानिकी और बीज विकास निगम के अधिकारी सदस्यों के निशाने पर रहे। लेकिन पर्याप्त खाद बीज का भंडारण होने के कारण अधिकारियों की ज्यादा खिंचाई नहीं कर पाए। कहीं कहीं स्वर्णा धान का बीज नहीं होने की शिकायत सदस्यों ने, जिसे अधिकारियों ने जल्द पूरा करने का आश्वासन दिया है। बैठक में सबसे ज्यादा शिक्षा विभाग के अधिकारियों के सदस्यों ने घेरा। सदस्यों ने अपने अपने क्षेत्र के एकल शिक्षकीय और शिक्षक विहीन स्कूलों की संख्या गिनाई और जल्द शिक्षकों की कमी दूर करने की मांग की। एक सदस्य ने कहा कि शिक्षक नहीं होने के कारण बच्चे अपना TC निकलवा रहे है। इस दौरान जब DEO से पूछा गया कि कितने स्कूलों कि मरम्मत हुई है तो वो जानकारी नहीं दे सके। लिहाजा RES के अधिकारियों को बुलाना पड़ा। RES के अधिकारियों ने बताया 70 प्रतिशत स्कूलों का मरम्मत हो गया है शेष का काम जल्द पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद गणवेश और किताब नहीं पहुंचने की शिकायत भी हुई। बार बार बिजली गोल होने के कारण बिजली विभाग के अधिकारियों को जिला पंचायत के सदस्यों ने खरी खोटी सुनाई और जल्द व्यवस्था सुधारने की हिदायत दी। बैठक में जिला पंचायत सदस्य और सभापति जितेंद्र पांडेय और अंकित गौरहा ने फ़दहाखार में हुए फेंसिंग घोटाले का मुद्दा जोर शोर से उठाया। दोनो सदस्यों के तेवर देख वन विभाग के अधिकारी भी सकते में आ गए। बचने का कोई रास्ता न देख अधिकारियों ने जल्द जांच कर रिपोर्ट देने का वादा सदस्यों को दिया है। सदस्यों ने दो महीने पहले की बैठक में भी फ़दहाखार में हुए फेंसिंग घोटाले का मुद्दा उठाया था। तब भी जांच टीम बनाकर जांच कराने की बात हुई थी। लेकिन सीईओ के ट्रांसफर और फिर लोक सभा चुनाव के लिए आचार संहिता लग जाने के कारण जांच टीम नहीं बन पाई थी। आपको बता दे फ़दहाखार के जंगल को बेजा कब्जा से बचाने के लिए फेंसिंग करने का निर्णय वन विभाग ने लिया था। इसके तहत प्रस्ताव बनाकर फेंसिंग का काम कराया गया। लेकिन रेंजर ने ठेकेदार के साथ मिलकर जमकर भ्रष्टाचार किया है। फेंसिंग के लिए बनाया गया बेस बहुत ही घटिया क्वालिटि का है। केवल थूक पालिस किया गया है। इसी तरह फेंसिंग के लिए जो लोहे का पोल लगना था नहीं लगाया गया है। लगभग दो सौ पोल का पैसा अधिकारियों ने उदरस्थ कर लिया है। पूरे काम के लिए रेंजर ने 52 लाख रुपए से अधिक का बिल पास कराया है और पैसे निकले। लेकिन मोके पर 10 लाख का भी काम नहीं हुआ है।

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