सहकारी बैंकों में लुटेरों को बैठाने की तैयारी, आत्मघाती कदम उठाने जा रही है छत्तीसगढ़ सरकार, क्या है मामला पढ़े खबर …

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के सभी जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों में उप पंजीयक सहकारी संस्थाओं को CEO बनाकर बैठाने की तैयारी है। छत्तीसगढ़ सरकार के लिए ये फैसला आत्मघाती होगा। क्योंकि अभी तक का ट्रैक रिकार्ड यही रहा है की जहां भी DR को बैठाए गए है वह संस्था डूब गया है। यही नहीं जमकर लूटमार हुई है।

प्रदेश के जिला सहकारी बैंक पिछले कई सालों से नेताओं और अधिकारियों के लिए कमाई का सबसे मुफीद जगह बन गया है। विशेषकर धान खरीदी शुरू होने के बाद। प्रदेश के हर जिला सहकारी केंद्रीय बैंक की अपनी अलग कहानी है। ताजा मामला छत्तीसगढ़ सरकार के एक आत्मघाती फैसले से जुड़ा है। छत्तीसगढ़ सरकार ने फैसला किया है की प्रदेश के प्रत्येक जिला सहकारी केंद्रीय बैंक में CEO के रूप में पंजीयक सहकारी संस्थाएं के डिप्टी रजिस्ट्रारों को यानी उप पंजीयक को बैठाए जाए। जबकि ऐसा करना न केवल कानूनन गलत है बल्कि अव्यवहारिक भी है। एक उप पंजीयकों को बैंकिंग कार्य प्रणाली की जानकारी नहीं होती तो दूसरी सुप्रीम कोर्ट की स्पष्ट गाइड लाइन है की बैंकिंग सेक्टर के बाहर के किसी भी अधिकारी को सहकारी बैंक का CEO नहीं बनाया जा सकता। इससे भी महत्वपूर्ण बात ये है डिप्टी रजिस्ट्रारों का ट्रैक रिकार्ड रहा है की इन्हे जहां भी बैठाया गया है उस संस्था में करोड़ों अरबों का घोटाला हुआ है और वह संस्था डूब गई है। मसलन किसान राइस मिल में इनको बैठाया गया आज किसान राइस मिल की क्या स्थिति है देखा जा सकता है। शक्कर कारखाना में ये करोड़ो रुपए के घपले कर चुके है। विपणन संस्था बंद हो चुकी है बुनकर सहकारी समिति बर्बाद हो चुकी है। समिति को आबंटित जमीन तक बिकने लगी है। मछुआ समिति का बहुत ही बुरा हाल है। नागरिक कमर्शियल बैंक बर्बाद हो चुका है। इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक का क्या हाल है किसी से छुपा नहीं है। प्रदेश में दो सौ से ज्यादा ऐसी संस्थाएं है जिनके डिप्टी रजिस्ट्रार डूबा चुके है। जबकि सहकारी संस्थाएं एक भी ऐसा उदाहरण नहीं दे सकता जहां डिप्टी रजिस्ट्रार को बैठाने के बाद कुछ पॉजिटिव रिजल्ट दिए हों। कुल मिलाकर डिप्टी रजिस्ट्रार पंजीयक सहकारी संस्थाएं को जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों में CEO बनाकर बैठाने का निर्णय आत्मघाती हो सकता है। विभागी सूत्रों की माने इनके बैठते ही बैंको का डूबना तय है। जैसे ही सहकारी बैंक में अव्यवस्था सामने आई तो सरकार की फजीहत होना तय है।

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