कुसुम स्मेल्टर प्लांट हादसा : डायरेक्टरों को बचाने एड़ी चोटी का जोर रही पुलिस, मैनेजर पर हल्की धाराओं के तहत अपराध दर्ज, थानेदार की भी सज गई दुकान…

बिलासपुर। जिला और पुलिस प्रशासन कुसुम स्मेल्टर प्लांट के डायरेक्टरों को बचाने एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है। थाने में उनके खिलाफ अपराध दर्ज करने के बजाय मैनेजर और मजदूर सप्लायर पर जुर्म दर्ज किया गया है। धाराएं भी ऐसी लगाई गई है कि दोनो कर्मचारियों को थानेदार थाने से ही मुचलके पर छोड़ सकता है। यही कारण है कि थानेदार की चल पड़ी है, घटना के बाद वे पूरे टाइम प्लांट में ही नजर आ रहे है और उनकी जमकर खातिरदारी हो रही है।

कुसुम स्मेल्टर प्लांट में हादसा होने के बाद जिला और पुलिस प्रशासन की लाटरी लग गई है। पूरा सिस्टम कंपनी के डायरेक्टरों को बचाने में लगी हुई है। पहले मुआवजा को लेकर प्रबंधन के बजाय प्रशासनिक अधिकारी मृत कर्मचारियों के परिजन से सौदेबाजी करते रहे। इसके लिए प्रशासन ने पूरी ताकत झोंक दी थी। अंततः अधिकारी चारों मृत कर्मचारियों के लिए मात्रा 35 लाख का मुआवजा लेकर शव ले जाने के लिए राजी करा लिया। कंपनी की ओर से अभी मृत कर्मचारियों के परिजन को एक एक लाख रुपए देकर रवाना कर दिया है। हादसे के बाद जुर्म दर्ज करने के मामले में भी पुलिस प्रशासन ने बड़ा खेल कर दिया है। सरगांव थाने में कम्पनी के कर्मचारी अनिल प्रसाद और मैनेजर अमित केड़िया के खिलाफ जूर्म दर्ज किया गया है। यही नहीं दोनो के खिलाफ बीएनएस की धारा 106 (1), 289 और 3(5) के तहत अपराध दर्ज किया गया है। इन सभी धाराओं में थानेदार ही आरोपियों को मुचलके पर छोड़ सकता है। उन्हें कोर्ट जाने की जरूरत नहीं है। यही कारण है कि कंपनी के कर्मचारी सरगांव थानेदार की आव भगत में लगे हुए है। थानेदार भी घटना के बाद से प्लांट में ही नजर आ रहे है। सरगांव की थानेदारी कुसुम स्मेल्टर प्लांट से ही चल रही है। थाने में केवल रोज़नामचा चढ़ाने के लिए कुछ कर्मचारी छोड़ रखे है। जानकारों की माने तो घटना के बाद प्लांट के डायरेक्टर सतिश अग्रवाल, आदित्य अग्रवाल, विशाल अग्रवाल समेत अन्य दो डायरेक्टरों के खिलाफ अपराध दर्ज किया जाना चाहिए था। इन सभी के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का जुर्म दर्ज होना था।

00 प्लांट में चल रहा है काम

घटना के बाद प्रशासन ने पूरे प्लांट को सिल कर दिया है। प्रशासन के अनुसार कंपनी के अंदर कोई काम नहीं चल रहा है। जबकि वास्तविकता इससे उलट है। प्लांट में काम चल रहा है और 50 से अधिक कर्मचारी और सौ से अधिक मजदूर काम कर रहे है। यही नहीं थानेदार पूरे समय प्लांट में ही ड्यूटी बजा रहे है।

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