सरकारी शराब दुकानों में खपाया जा यह है तस्करी की शराब, बिना होलोग्राम लगे 26 पेटी गोआ जप्त, प्लेसमेंट एजेंसी की भूमिका संदिग्ध

रायपुर। प्रदेश की राजधानी रायपुर में आबकारी विभाग के उड़नदस्ता दल ने एक बार फिर से मिलावटी शराब के गोरखधंधे का पर्दाफाश किया है। लालपुर स्थित कंपोजिट सरकारी शराब भट्टी में दो गई दबिश के दौरान टीम ने 250 पेटी मिलावटी शराब जब्त की है। यही नहीं 26 पेटी शराब में होलोग्राम ही नहीं लगा था। इससे स्पष्ट है कि सरकारी शराब दुकानों में तस्करी की शराब खपाई जा रही है। इस गोरखधंधे में प्लेसमेंट एजेंसी की भूमिका संदिग्ध है।

मिली जानकारी के अनुसार आबकारी विभाग के उड़नदस्ता दल को लंबे समय से शिकायत मिल रही थीं कि लालपुर स्थित शराब दुकान में घटिया और मिलावटी शराब बेची जा रही है। इन शिकायतों की पुष्टि के लिए जब टीम ने गुरुवार शाम दुकान में दबिश दी तो दंग रह गए। दुकान में चिप रेट ब्रांड की शराब में पानी मिलाकर ग्राहकों को बेचा जा रहा था। मौके पर ही इस गैरकानूनी कार्य को रंगे हाथों पकड़ा गया। जांच के दौरान गोवा ब्रांड की 26 पेटी शराब बिना होलोग्राम के पाया गया। इससे यह स्पष्ट है कि सरकारी शराब दुकानों में दो नंबर की शराब खपाया जा रहा है।
कार्रवाई के दौरान दुकान का सुपरवाइजर शेखर बंजारे और तीन सेल्समेन मौके से फरार हो गए है जिनकी तलाश अभी की जा रही है। जबकि तीन अन्य सेल्समेन को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है। इन कर्मचारियों को एक निजी प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से भर्ती किया गया था, जो आबकारी विभाग के सरकारी ठेके पर काम कर रहे थे। इससे यह भी स्पष्ट हो गया है कि प्लेसमेंट कंपनी तस्करी की शराब सरकारी शराब दुकानों से बेच रहे है।
संभागीय उड़नदस्ता दल ने बताया कि मिलावटी शराब की बिक्री और ब्रांडिंग में खामियों के आधार पर आबकारी अधिनियम की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जा रही है। ज़ब्त शराब की गुणवत्ता की जांच के लिए लैब परीक्षण भी कराया जाएगा। संभागीय उड़नदस्ता प्रभारी ने स्पष्ट किया कि यह कार्रवाई एक सतत अभियान का हिस्सा है और आने वाले दिनों में प्रदेश की अन्य शराब दुकानों पर भी आकस्मिक निरीक्षण किए जाएंगे। दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे और यदि आवश्यकता पड़ी तो लाइसेंस निलंबन तक की कार्रवाई की जा सकती है। इस पूरी कार्रवाई ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि सरकारी व्यवस्था में ढील या निजी एजेंसियों की मनमानी का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ता है।

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