बिलासपुर। बिलासपुर प्रेस क्लब में गुरुवार को नेत्र दिव्यांग युवक अंकित देव ने पत्रकारों से चर्चा कर खुद की जिंदगी में आए उतार-चढ़ाव के बाद मिली सफलता को साझा किया। अंकित देव ने बताया कि मुख्यत: वे कोलकाता के रहने वाले हैं मगर उन्होंने गुरु घासीदास यूनिवर्सिटी में कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। प्रौद्योगिकी और व्यवसाय में उसकी गहरी रुचि रही। वर्तमान में अंकित देव बेंगलुरु में जीएस में एक इंजीनियरिंग विश्लेषक के रूप में कार्यरत है।
व्यापार को चलाने के लिए ट्रेडों को निष्पादित करने ट्रेडिंग डेस्क की सहायता करने के लिए विभिन्न नवीनतम तकनीकों का लाभ उठाकर तकनीकी प्लेटफार्म विकसित कर रहे हैं। सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के शौकीन रहे हैं और विशेष जरूरत वाले लोगों को सशक्त बनाने के लिए वर्षों से कई परियोजनाओं पर काम करते है। उन्होंने बताया कि समावेशी स्टेम कॉन्फ्लुएंस 2021 में प्रथम स्थान प्राप्त किया था, जिसके एवज में गुरुघासीदास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो आलोक कुमार चक्रवाल ने उन्हें सम्मानित किया है। अंकित देव ने अपनी निजी जिंदगी में काफी संघर्ष किया। चुनौतियों के बावजूद दृष्टि बाधा को बाधा ना मानते हुए उसने अपना मुकाम हासिल किया। पत्रकारों से चर्चा करते हुए उसने इस बात का उल्लेख किया कि वर्तमान में दृष्टिबाधित दिव्यांगों के लिए दसवीं क्लास के बाद पढ़ाई करने में काफी बाधा आती है। ट्रांसलेटर मिलना बड़ा मुश्किल हो जाता है। शासन के जो नियम है वो उन्हें प्रोत्साहित करने के बजाय हतोत्साहित करते हैं। उन्होंने राज्य और केंद्र सरकार से मांग की है कि ऐसे दिव्यांगों के लिए ट्रांसलेटर के लिए जो कंडीशन है उन्हें सरल किया जाए ताकि दिव्यांगों की राह आसान हो सके।उन्होंने यह भी मांग की है कि दसवीं के बाद ऐसे छात्रों के लिए विशेष स्कूल या सामान्य स्कूलों में उनकी उपस्थिति दर्ज कराने और उन्हें सम्मानजनक पढ़ाई कराने के लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जाएं ताकि ऐसे दृष्टिबाधित छात्रों को ना तो विषय चुनने में परेशानी हो और ना ही अपने लक्ष्य को पाने में उन्हें परेशानी और कठिनाइयों का सामना करना पड़े। पत्रकार वार्ता के दौरान उनके साथ मौजूद जसवंत कुमार आदिले जो खुद दृष्टि बाधित है और विशेष विद्यालय का संचालन नए जिले शक्ति में करते हैं। उन्होंने बताया कि ऐसे बच्चों के लिए उनका विशेष योगदान है। ऐसे लोगों की वे राह आसान कराते हैं जसवंत आदिले ने बताया कि वह और उनकी पत्नी बिंदेश्वरी आदिले दोनों मिलकर दृष्टिबाधित बच्चों को भरपूर मदद करते हैं।
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