कौन है भोले बाबा ? कैसे बन गया कांस्टेबल से बाबा ? बसपा सरकार के समय घूमता था लाल बत्ती गाड़ी में, अखिलेश क्यों जाते थे उनसे आशीर्वाद लेने ?

डेस्क न्यूज। उत्तर प्रदेश के हाथरस की भगदड़ से 121 लोगों की मौत के बाद भोले बाबा सुर्खियों में है। उन्हें उनके भक्त नारायण साकार हरि या साकार विश्व हरि भी कहते हैं। भोले बाबा का असली नाम सूरज पाल सिंह जाटव है। 17 साल पहले वह यूपी पुलिस में कांस्यूटेबल था। यूपी के एटा जिला निवासी भोले बाबा अन्य साधु संतों की तरह गेरुआ या भगवा वस्त्र धारण नहीं करते और न ही किसी भगवान की तस्वीर अपने कार्यक्रमों में लगाते है। साकार हरि प्रवचन देते समय सफेद थ्री पीस सूट-बूट और महंगे चश्मे में दिखते हैं। बाबा के पास लगजरी कारों का काफिला है और खुद की वर्दीधारी फौज भी है। इस लंबी चौड़ी फौज को बाबा ने सेवादार नाम दिया है। सूरजपाल उर्फ साकार हरि बाबा उर्फ भोले बाबा कासगंज जिले के पटयाली का रहने वाला है। 17 साल पहले पुलिस कांस्टेबल की नौकरी छोड़ सूरजपाल सत्संग करने लगा।  गरीब और वंचित तबके के लोगों के बीच इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी।उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में उसके लाखों अनुयायी हैं। बाबा ने अपने पैतृक गांव बहादुरनगर में बड़ा आश्रम बना रखा है, जहां हर महीने के पहले मंगलवार को सत्संग होता है। बाबा आश्रम में हो या न हो, भक्तों का हुजूम लगा रहता है। पुलिस पृष्ठभूमि के चलते बाबा पुलिस के तौर-तरीकों को जानता है। इसी से उसने वर्दीधारी स्वयंसेकों की लंबी-चौड़ी फौज खड़ी कर दी। एससी/एसटी और ओबीसी वर्ग में उसकी गहरी पैठ है। मुस्लिम भी उनके अनुयायी हैं। उसके यूट्यूब चैनल के 31 हजार सब्सक्राइबर हैं।नारायण साकार हरि यानी भोले बाबा का बसपा सरकार में बड़ा जलवा था। बाबा लाल बत्ती की गाड़ी में सत्संग स्थल तक पहुंचते थे। उनकी कार के आगे आगे पुलिस एस्कॉर्ट करते हुए चलती थी। बसपा सरकार में तत्कालीन जनप्रतिनिधि उनके सत्संग में शामिल होने पहुंचते थे। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव अक्सर उनके सत्संग में शामिल होते थे। सत्संग स्थल पर पुलिस की जगह उनके स्वयंसेवक ही कमान संभालते हैं। सत्संग में सेवा के लिए पुलिसकर्मी भी छुट्टी लेकर पहुंचते हैं। सत्संग में पूरी व्यवस्थाएं स्वयंसेवकों के हाथ में ही होती हैं। इनमें कई पुलिसकर्मी हैं, जो बाबा की सुरक्षा में तैनात रहने के साथ सत्संग स्थल पर व्यवसथाएं संभालते हैं। स्वयंसेवक गुलाबी रंग की यूनिफॉर्म में सत्संग स्थल से लेकर शहर की सड़कों पर तैनात रहते हैं।

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