बलौदा बाजार। देश में 1 जुलाई से जहां नया कानून लागू हो गया है, वहीं इस कानून में किए गए प्रावधान की चहुओर चर्चा है। कई मामलों में सजा से लेकर अर्थदंड तक बढ़ा दिया गया है। बावजूद इसके अपराधियों के मन में पुलिस और कानून का खौफ कहीं दिखाई नहीं दे रहा है। हालात यह है कि जिस आरोपी की पुलिस जुलूस निकाल निकालकर अपराधियों को संदेश देना चाहती थी वहीं मजाक बनकर रह गया। पूरे रास्ते में पुलिस आरोपियों के साथ हंसी ठिठोली करते हुए दिखाई दिए।
छत्तीसगढ़ के बलौदा बाजार में बीते माह 10 जून को हुई ऐतिहासिक घटना जिसमें जिला पुलिस मुख्यालय अर्थात पुलिस अधीक्षक कार्यालय को सतनामी समाज के जैतखाम काटे जाने के खिलाफ आयोजित किए गए सामाजिक आंदोलन में पहुंचे असामाजिक तत्वों ने आग के हवाले कर दिया गया। तेज तर्रार कहे जाने वाले पुलिस अधीक्षक सदानंद कुमार को भनक तक नहीं लगी और उनके इंटेलिजेंस को चकमा देकर अपराधियों ने 240 से अधिक गाड़ियों में तोड़फोड़, लूटपाट और आगजनी की घटना को अंजाम दिया। साथ ही एसपी कार्यालय को भी आग के हवाले कर दिया था। इस घटना के बाद सरकार ने अधिकारियों की कार्यप्रणाली और कार्यकुशलता को भलीभांति समझ लिया। इसका परिणाम घटना के अगले ही दिन देखने को मिला, जब जिले के दोनों शीर्ष अधिकारियों को पहले हटाया गया और बाद में सस्पेंड कर दिया गया। हालांकि बाद में पुलिस 159 आरोपियों को गिरफ्तार करने में सफलता पाई है। इधर इस घटना को अभी एक माह ही बीता है कि एक बार फिर बलौदा बाजार जिले का माहौल खराब होने लगा है। कानून व्यवस्था और लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति एक बार फिर बिगड़ती दिखाई दे रही है।
अपराधियों के हौंसले इस कदर बुलंद हैं कि वे सरेआम सरकारी कार्यालयों में घुसकर मारपीट और धमकी दे रहे हैं। ताज्जुब कि बात यह है कि एक माह पहले जिस पुलिस अधीक्षक कार्यालय को आग के हवाले कर दिया गया था। उसी जिला मुख्यालय के वेयर हाउस में दो दिन पहले आबकारी उप निरीक्षक जलेश सिंह के साथ मारपीट की गई। शिकायत पर कोतवाली पुलिस आरोपी को गिरफ्तार कर लिया और अंबेडकर चौक से आरोपी का जुलूस निकाला। हैरान करने वाली बात यह देखने को मिली की हाथ में हथकड़ी लगाए आरोपी शिवम चौहान पुलिस के साथ पूरे रास्ते हंसी ठिठोली करते दिखाई दिया। मानो ऐसा लग रहा था जैसे वह आरोपी न हो पुलिस का मेहमान हो और पुलिस का व्यवहार आरोपी के साथ ऐसा था, जैसे उसी के पगार पर उसका परिवार पल रहा हो। पूरे जुलूस के दौरान रास्ते में पुलिस और आरोपी हंसी ठिठोली करते नजर आए। हंसते मुस्कुराते और बिंदास होकर कोर्ट पहुंचे। सूत्रों की माने तो आरोपी शराब के व्यापार से जुड़े है, जिसकी छत्रछाया में बलौदा बाजार की कोतवाली पुलिस खुद को निहाल कर रही है। यही कारण है कि आरोपी के मन में पुलिस का कही खौफ दिखाई नहीं दिया, बल्कि पुलिस के जवानों में नजराना नहीं मिलने की चिंता जरूर दिखाई दी। सूत्रों की माने तो कोतवाली में कई विवेचकों का घर सरकारी वेतन की बजाय शराब के कोचियों, लड़कियों और जुआ सट्टा की दलाली से चलता है। इसके कारण भी टोपी में लगा शेर कोतवाली पुलिस के अधिकारियों में कभी नहीं जागता। पुलिस शब्द का बलौदा बाजार जिले में मजाक बनकर रह गया है।
00 चोरी और चाकूबाजी की घटना बढ़ी
बलौदा बाजार में इन दिनों चोरी और चाकूबाजी की घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि हुई है। यहां तक कि पुलिस की स्टाफ आरक्षक के नगर पालिका के पास स्थित घर से चोर स्कूटी पार कर दिए। इतना ही नहीं शहर की नाक कहे जाने वाले गार्डन चौक पर पुलिस का नाक काटते हुए पिछले दो दिनों में दो मोटर साइकिल पार कर दिए। यही हालात चाकूबाजी और स्कूली छात्राओं की छेड़खानी करने वाले आशिक मजनुओं का भी है। कहने के लिए तो महिला अधिकारियों की जिले में नियुक्ति है, लेकिन स्कूली बच्चियों के साथ हो रही छिटाकशी और छेड़खानी से बच्चियां स्कूल छोड़ने को मजबूर हो रही हैं।
00 कप्तान को ओवर टेक कर रहा कोई
बलौदा बाजार में हुई आगजनी और हिंसा की घटना के बाद राज्य के सबसे स्ट्रिक्ट पुलिसिंग के लिए माने जाने विजय अग्रवाल को बलौदा बाजार का कप्तान बनाया गया है। लेकिन पिछले कई दिनों से कोई अदृश्य शक्ति है जो SP ओवरटेक कर रहा है। सूत्रों की माने तो ओवरटेक करने वाले की स्पीड का कहर इतना जबरदस्त है कि कप्तान किसी टास्क को देते हैं तो वह रायपुर की मीडिया में पहले और अधिकारियों के पास बाद में पहुंच रहा है।
00 घर के रास्ते वाले थाने में पोस्टिंग
जिले में नए कप्तान के आने के बाद अलग अलग थानों के प्रभारियों को हाल ही में बदला गया। सूत्रों का कहना इसमें एक निरीक्षक थाना के लिए पिछले दो कप्तान से कई बार मिन्नते कर चुके थे, जिन्हें थाना का प्रभारी बनाया गया। वहीं दो निरीक्षक ऐसे हैं जिन्हें उनके मुताबिक घर जाने की सहूलियत से थाना दिया गया। पिछले कई महीनों में चोरी, लूट, चाकूबाजी जैसे अपराध में उनकी योग्यता के प्रमाण मिलते हैं।
00 ट्रैफिक व्यवस्था बदहाल
जिले के ट्रैफिक पुलिस में बल की संख्या बढ़ी है। लेकिन ज्यादातर बल कहां तैनात होती है दिखाई नहीं देती। जिला कोर्ट के सामने एक ट्रैफिक पुलिस की तैनाती का अलावा पूरे जिला मुख्यालय में कहीं भी ट्रैफिक व्यवस्थित करने की दिशा में काम होता दिखाई नहीं दे रहा है।
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