SDM और तहसीलदार के नाम पर पटवारी ने लिए 6 लाख और बना दिया सरकारी जमीन को निजी, आखिर क्या है मंशाराम की मंशा… ?

बिलासपुर। मस्तूरी ब्लाक के भुरकुंडा में सरकारी जमीन को निजी बनाने का मामला पिछले कुछ दिनों से सुर्खियों में है। जमीन सबसे पहले क्षेत्र के मालगुजार साव परिवार के नाम पर था। जिसे उनके परिवार वालों ने प्रसूति गृह बनाने के लिए दान में दे दिया। बाद में यह जमीन गांव के मंशाराम के नाम पर चढ़ गया। इसके बाद यह जमीन फिर से सरकार के नाम पर चढ़ गई। मंशाराम इसको लेकर हाईकोर्ट गया और हाईकोर्ट ने उसे जिला प्रशासन के पास त्रुटि सुधार के लिए आवेदन देने के लिए कहा। राजस्व विभाग ने आवेदन मिलने के बाद जब जांच कराई तो मामला और उलझ गया। मंशाराम ने बयान दिया है की उसने वह जमीन न तो खरीदी है और न ही उसकी पैतृक संपत्ति है। यही नहीं पट्टे में भी नहीं मिला है। तो जमीन उसके नाम पर चढ़ा कैसे ? उसने अपने बयान में यह भी कहा है कि पटवारी को 6 लाख रुपए देकर जमीन अपने नाम पर चढ़वाया है। अब सवाल ये उठ रहा है की गांव का एक भोला भाला मंशाराम हाईकोर्ट को गुमराह किया है या SDM के न्यायालय में झूठा बयान दिया है ? आखिर क्या है माजरा ?

मंशाराम टंडन पिता स्व० मोहन टण्डन निवासी ग्राम भुरकुण्डा ने हाईकोर्ट द्वारा पारित याचिका संख्या WPC 3020/2023 के आदेश दिनांक 06.07.2023 के परिपालन में SDM के समक्ष आवेदन/अभ्यावेदन इस आशय के साथ प्रस्तुत किया कि आवेदक की चल-अचल सम्पत्ति ग्राम भुरकुण्डा में स्थित है। जिसमें से ग्राम भुरकुण्डा तहसील मस्तूरी, जिला-बिलासपुर में स्थित ख.नं. 423/2, 423/3, 423/4 रकबा क्रमशः 0.8090, 0.7280 व 0.4850 हे. है, जो आवेदक के नाम पर राजस्व रिकार्ड में भूस्वामी के रूप में 2009 से चला आ रहा था। आवेदक इन भूमियों को धान खरीदी बिक्री के लिए पंजीयन भी करवाया था। सन् 2021-22 में जब पुनः अपने जमीनों का पंजीयन कराने सोसायटी गया तो कर्मचारियों ने बताया कि जमीन आवेदक के नाम पर नहीं है इसलिए पंजीयन नही होगा। इस बात की जानकारी होने पर जब समस्त दस्तावेज निकलवाया तब पता चला कि उसका नाम भूमि स्वामी से हटकर शासन के नाम वर्ज हो गया है। इसके बाद मंशाराम ने हाईकोर्ट में याचिका प्रस्तुत किया। फिर 06.07.2023 को याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने निर्देश दिए की याचिकाकर्ता मंशाराम राजस्व विभाग के सक्षम अधिकारी के समक्ष भू-राजस्व संहिता की धारा के तहत आवेदन प्रस्तुत करगा कि उसकी भूमि जो शासन के नाम पर त्रुटिवश दर्ज हो गई है उसे सुधार कर पुनः मंशाराम के नाम पर दर्ज किया जावे। हाईकोर्ट ने यह भी आदेश दिया की विभाग मंशाराम के आवेदन का निराकरण आवेदन प्रस्तुती के दिनांक से 05 माह के भीतर करेगा। इसके बाद आवेदक ने 17.08.2023 को इस न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत किया। SDM के न्यायालय में धारा 115 के तहत प्रकरण दर्ज कर न्यायालय तहसीलदार पचपेड़ी से जॉच प्रतिवेदन मंगाया गया एवं आवेदक को समस्त आवश्यक दस्तावेज के साथ प्रस्तुत होने के लिए कहा गया।न्यायालय तहसीलदार पचपेड़ी ने राजस्व रिकार्ड के संबंध में हल्का पटवारी से प्रतिवेदन मांगा। पटवारी एवं न्यायालय तहसीलदार पचपेड़ी के प्रतिवेदन अनुसार
01. 1928-29 के मिसल में खसरा नंबर 423 रकबा 14.19 एकड. भूमि अयोध्या प्रसाद वगैरह के स्वामित्व में दर्ज पाया गया।
02. अधिकार अभिलेख पंजी वर्ष 1954-55 में खसरा नंबर 423 रकबा 14.19 एकड़ भूमि मध्यप्रदेश शासन स्वास्थ्य विभाग के नाम पर दर्ज पाया गया।
03. अधिकार अभिलेख की प्रविष्टि के अनुसार तहसीलदार के राजरव प्रकरण कमांक 29/1-6/72-73 आदेश दिनांक 05. 07.1975 के अनुसार अमरनाथ साथ जूना बिलासपुर अपने पिता गेंदराव साव के नाम से प्रसूति ग्रह निर्माण लिए दान में दिया गया था। दानपत्र 23.01.1960 रजिस्ट्री क्रमांक 4308 के अनुसार उक्त आदेश का विवरण अधिकार अभिलेख में दर्ज है और सक्षम अधिकारी के हस्ताक्षर भी है।
04.  खसरा पांचशाला वर्ष 1996-97 से 2001-02 तक में खसरा नंबर 423 रकबा 14.19 एकड़ भूमि मध्यप्रदेश सरकार के नाम पर दर्ज पाया गया।
05. खसरा पांचशाला वर्ष 2006-07 से 2010-11 तक में छ०ग० सरकार स्वास्थ्य विभाग के नाम पर दर्ज पाया गया।
06. खसरा पांचशाला वर्ष 2011-12 से 2015-16 में खसरा नंबर 423 छ०ग० सरकार स्वास्थ्य विभाग के नाम पर दर्ज पाया गया।
07. बी 1 किश्तबंदी खतौनी वर्ष 2017-18, 2018-19 और 2020-21 में वादभूमि शासकीय मद में दर्ज पाया गया।
08. बी 1 वर्ष 2013-14 में आवेदक मंशाराम पिता मोहना के नाम से खाताक्रमांक 531 एवं 532 में खसरा नंबर 423 दर्ज नहीं पाया गया।
प्रकरण में आवेदक का बयान लिया जिसमे उसने कहा है कि
1. आवेदक की भूमि ख.नं. 423/2, 423/3 423/4 रकबा कुल 5.00 ए. भूमि है, जिस पर आवेदक पिछले 40 साल से काबिज है। पिछले 25 वर्षों से घर बनाकर निवास कर रहा है।
2. यह कि ख.नं. 423/2 423/3 423/4 रकबा कुल 5.00 ए. को पटवारी राजीव टोंडे को 6 लाख रूपये देकर अपने नाम से पर्ची बनवाया है।
3. अपने बयान में आवेदक ने यह भी कहा है कि पटवारी पैसा लेकर यह बोला कि तहसीलदार एवं एस.डी.एम. को पैसा दूंगा तभी तुम्हारे नाम पर जमीन चढेगा। उसके बाद वह मुझसे 6 लाख रूपये लेकर आवेदक के नाम से ख.नं. 423/2, 423/3 423/4 का पर्ची बनाकर दिया।
4. आवेदक ने यह भी कहा है कि वादभूमि ख.नं. 423/2 423/3 423/4 को आवेदक ने न ही पट्टे से प्राप्त किया है, न ही किसी अन्य व्यक्ति या खातेदार से क्रय किया है और यह न ही आवेदक की पैतृक भूमि है।
प्रकरण में संलग्न सभी दस्तावेज, आवेदक के द्वारा प्रस्तुत आवेदन पत्र, तहसीलदार पचपेड़ी एवं हल्का पटवारी के द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन, आवेदक के द्वारा प्रस्तुत बयान, स्वत्व संबंधी समस्त दस्तावेज का सूक्ष्मता से अवलोकन एवं परीक्षण किया गया है। जिससे यह स्पष्ट है कि वादभूमि मंशाराम की स्वअर्जित भूमि नहीं है और न ही किसी प्रकार से यह स्पष्ट है कि उक्त भूमि आवेदक के नाम पर कैसे दर्ज हुई है। जिससे आवेदक का आवेदन पत्र निराधार प्रतीत होने के कारण आवेदक का आवेदन पत्र खारिज किया जाता है।

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