DEO पर 75 लाख रुपए की हेराफेरी का आरोप, शासन ने जुर्म दर्ज करने के दिए निर्देश

रायपुर। रायपुर के पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) जीआर चंद्राकर पर शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत 76 लाख रुपये की हेराफेरी का आरोप साबित हुआ है। राज्य सरकार ने उसके खिलाफ FIR दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। तीन जांचों में खुलासा हुआ कि फर्जी स्कूलों और बंद संस्थानों के नाम पर रकम ट्रांसफर की गई। इस मामले में तत्कालीन प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है। संभव है आगे चलकर उनके खिलाफ भी जुर्म दर्ज हो जाए।

शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) के तहत स्कूलों को दी जाने वाली प्रतिपूर्ति राशि में 74 लाख रुपए की हेराफेरी के मामले में राज्य शासन ने रायपुर के पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) जी. आर. चन्द्राकर के खिलाफ FIR दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं। कई स्तर पर हुई जांच के बाद राशि आबंटन में गड़बड़ी प्रमाणित होने के बाद शासन ने यह निर्णय लिया है। जांच में यह बात भी सामने आई है कि कुछ स्कूल अस्तित्व में ही नहीं थे लेकिन लाखों रुपए जारी कर दिए गए है। इसी तरह दो तीन स्कूल के बजाय व्यक्तिगत खाते में राशि जमा की गई है। आरटीई की राशि में हेराफेरी को लेकर जब शिकायत हुई तो स्कूल शिक्षा विभाग ने अलग-अलग स्तर पर जांच कराया, इसके बाद कई चौंकाने वाला मामला सामने आया।
शासन के निर्देश पर आरटीई की राशि में हेराफेरी की अलग-अलग स्तर पर जांच हुई है। सभी में बड़े पैमाने पर राशि की हेराफेरी करने की पुष्टि हुई है। इस मामले में पूर्व डीईओ दोषी पाए गए है। पहली जांच तत्कालीन संभागीय संयुक्त संचालक एस. के. भारद्वाज ने की। जांच में पाया गया कि जिन लोगों के खाते में रकम भेजी गई है उनमें से कुछ स्कूल काफी समय से बंद थे। वहीं कुछ स्कूलों के नाम पर व्यक्ति के निजी खाते में लाखों रुपए ट्रांसफर किए गए है। एक जांच जिला शिक्षा कार्यालय की ओर से करके संचालनालय को रिपोर्ट भेजी गई थी। इसमें बताया गया कि किस तरह जानबूझकर राशि दूसरों के खाते में अंतरित कराई गई। तीसरी जांच समग्र शिक्षा के पूर्व संयुक्त संचालक संजीव श्रीवास्तव ने की है जिसमें उन्होंने अपनी रिपोर्ट में आरटीई राशि के आबंटन में गड़बड़ी होने का जिक्र किया है।

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