वक्फ बोर्ड का ऐतिहासिक फैसला : मस्जिदों को देना होगा आय-व्यय का हिसाब, पारदर्शिता नहीं रखने पर होगी कड़ी सजा…

रायपुर। छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड ने वित्तीय अनुशासन और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एक ऐतिहासिक फैसला लिया है। अब राज्य की 1800 से अधिक मस्जिदों को हर महीने और हर साल की आय-व्यय का लेखा-जोखा प्रस्तुत करना होगा। यदि किसी मस्जिद के मुतवल्ली (प्रबंधक) तीन वर्षों तक ऑडिट नहीं कराते हैं, तो उन्हें जेल की सजा का सामना करना पड़ सकता है।
*पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम*
राज्य वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सलीम राज ने बताया कि लगातार ऐसी शिकायतें मिल रही थीं कि कई मस्जिदों में आने वाली दान राशि का सही उपयोग नहीं हो रहा है। इन शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए अब सभी मस्जिदों को अपने बैंक खाते खुलवाने होंगे, जिससे लेन-देन की प्रक्रिया पारदर्शी हो सके।
*बड़ी मस्जिदों की सालाना आय 15-20 लाख तक*
छत्तीसगढ़ की बड़ी मस्जिदों की मासिक आय 1.5 लाख रुपये तक होती है, जो सालभर में 15 से 20 लाख रुपये तक पहुंच जाती है। अब यह अनिवार्य होगा कि यह धनराशि कहां और कैसे खर्च हो रही है, इसका पूरा रिकॉर्ड वक्फ बोर्ड को दिया जाए।
*ऑनलाइन पोर्टल से होगा लेखा-जोखा*
वक्फ बोर्ड जल्द ही एक डिजिटल पोर्टल तैयार कर रहा है, जहां हर मस्जिद के मुतवल्ली को अपनी आमदनी और खर्च का पूरा विवरण दर्ज करना होगा। इससे न केवल पारदर्शिता बनी रहेगी, बल्कि वित्तीय अनियमितताओं पर भी रोक लगेगी।
*तीन साल तक ऑडिट नहीं कराया तो होगी जेल*
वक्फ बोर्ड ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अगर कोई मुतवल्ली तीन साल तक ऑडिट नहीं कराता है, तो उसे जेल की सजा हो सकती है। यह फैसला उन मस्जिदों में वित्तीय अनियमितताओं पर लगाम लगाने के लिए लिया गया है, जहां धन के दुरुपयोग की आशंका बनी रहती है।
*शिक्षा पर खर्च होगा मस्जिदों की आय का 30%*
वक्फ बोर्ड ने यह भी तय किया है कि मस्जिदों की आय का 30% हिस्सा शिक्षा के लिए खर्च किया जाएगा। इससे समाज में शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा और समुदाय के लोगों को सशक्त बनाया जा सकेगा।
*6 मुतवल्लियों पर गिरी गाज, पद से हटाए गए*
वित्तीय अनुशासन की प्रक्रिया को सख्ती से लागू करते हुए वक्फ बोर्ड ने हाल ही में छह मुतवल्लियों को उनके पद से हटा दिया। इन मुतवल्लियों पर आरोप था कि इन्होंने पंचायत चुनाव में एक विशेष पार्टी के पक्ष में मतदान करने की अपील की थी, जो वक्फ अधिनियम और आचार संहिता का उल्लंघन है।
*समाज में आएगा विश्वास और जवाबदेही*
वक्फ बोर्ड के इस सख्त कदम से राज्य की मस्जिदों के वित्तीय मामलों में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी। इससे समाज में यह विश्वास जगेगा कि उनके द्वारा दी गई दान राशि सही जगह इस्तेमाल हो रही है।
वित्तीय अनुशासन को लागू करने और समाज को शिक्षा के लिए सशक्त करने की दिशा में वक्फ बोर्ड का यह कदम बेहद सराहनीय है। यह न केवल मस्जिदों के प्रबंधन को मजबूत करेगा, बल्कि धार्मिक संस्थानों में ईमानदारी और पारदर्शिता को भी सुनिश्चित करेगा। अब देखने वाली बात यह होगी कि इस फैसले को कितनी प्रभावी तरीके से लागू किया जाता है और इससे वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में कितना सुधार आता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *