आईजी बने प्रेस क्लब के ‘पहुना’, कहा- कम्युनिटी पुलिसिंग पर विशेष जोर, सावधान हो जाएं नशे के शौदागर

बिलासपुर। बिलासपुर रेंज के आईजी रतन लाल डांगी मंगलवार को प्रेस क्लब के पहुना के रूप में पत्रकारों के सामने मुखातिब हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि उनका पूरा प्रयास कम्युनिटी पुलिसिंग पर रहती है। क्योंकि समाज से दूरी बनाकर अपराध पर अंकुश लगाना मुश्किल है। युवकों को नशे से बचाना उनका मुख्य उद्देश्य है। इसलिए नशे के शौदगरों के खिलाफ कार्रवाई होती रहेगी।

प्रेस क्लब में श्री डांगी ने बताया उनका जीवन खुली किताब है। उनके संबंध में हर चीज पब्लिक डोमेन में जगजाहिर है। सोसल मीडिया के माध्यम से वो अपने संघर्षो को बताते है, फिजिकल फिटनेश के लिए अभियान चलाते है, बच्चों को युवकों को प्रेरित करने के लिए लेख भी लिखते है। क्योंकि उन्हें लगता है कि युवा उनके संघर्षो को जानने के बाद इंस्पायर हो और मेहनत के दम पर तरक्की करे। श्रीडांगी ने बताया कि उनका पूरा फोकस कम्युनिटी पुलिसिंग पर रहता है। क्योंकि पुलिस समाज के लिए है। यदि पुलिस समाज से दूरी बनाकर रखेगी तो उनके होने का कोई मतलब नही है। वो चाहते है कि आम आदमी पुलिस को अपनी समस्या बताने में, उससे बात करने में संकोच नही करे या घबराए नही। यही कारण है कि मैंने अपना मोबाइल नंबर सार्वजनिक किया है। सभी थानों में अपना नंबर सबसे पहले लिखवाया है। ताकि थानों में किसी की नही सुनी जा रही है तो वो फोन करके सीधे मुझसे बात करे सकें।

00 नशा समाज के लिए कैंसर

श्रीडांगी ने कहा कि युवाओं को नशे से बचाने के लिए भी लगातार काम कर रहे है। क्योंकि नशा समाज के लिए कैंसर है। सरगुजा आईजी रहते उन्होंने अभियान चलाया था। यहां भी लगातार कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि पेरेंट्स को अपने बच्चों से बड़ी उम्मीद रहती है कि उनके बच्चे सही रास्ते मे चले। जब बच्चे गलत रास्ते मे जाते है तो उन्हें बड़ा धक्का लगता है। उन्हें लगता है कि वो किनके लिए सब कर रहे है। जिन घरों के बच्चे अच्छे रास्ते पर चलते है वो परिवार सुखी रहता है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से नशे का कारोबार चल रहा है लेकिन जानकारी मिलने पर करवाई भी हो रही है और आगे भी होगी। नशे का कारोबार करने वालों को भी ईश्वर सद्बुद्धि दे क्योकि किसी घर बर्बाद करके क्या मिल जाएगा। केवल अपना महल बनाने के लिए दूसरों का घर बर्बाद न करें।

00 आम आदमी से अपेक्षा

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि आम आदमी से उन्हें यही अपेक्षा है वो अपने बच्चों को संस्कार दें। दूसरों की बहू, बेटियों का सम्मान करना सिखाएं, उन्हें बताएं कि तुम्हारे घर मे भी बहु, बेटी और बहन है। उन्हें बताएं कि क्या गलत है और क्या सही है। केवल अधिकार की बात न सिखाए बच्चों को कर्तब्य भी सीखें। दूसरों के साथ वैसा ही ब्यवहार करें जैसा ब्यवहार वो अपने लिए चाहते है।

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