IPS अधिकारी GP सिंह के खिलाफ लगे सारे मामले रद्द, भूपेश सरकार में लगा था राजद्रोह, ब्लैकमेलिंग का मामला

रायपुर। वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी जीपी सिंह को हाइकोर्ट से बड़ी राहत मिली हैं। चीफ जस्टिस ने भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में उनके खिलाफ दर्ज सभी मामले को रद्द कर दिया है। उनके खिलाफ ब्लैकमेलिंग, आय से अधिक संपत्ति और राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था।

जीपी सिंह ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए हाईकोर्ट में कहा था कि उन्हें तत्कालीन सरकार ने राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया है। इस मामले में सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की बेंच ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने माना कि जीपी सिंह को परेशान करने के लिए बिना ठोस सबूतों के उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी।
इस मामले में जीपी सिंह की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गर्ग और अधिवक्ता हिमांशु पांडेय ने दलील दी कि उनके मुवक्किल को राजनीतिक द्वेष के चलते फंसाया गया है। उन्होंने कहा कि आय से अधिक संपत्ति के मामले में जिस व्यक्ति से सोना जब्त किया गया था, उसे एसीबी ने आरोपी नहीं बनाया बल्कि जीपी सिंह को झूठा फंसाया गया। अधिवक्ता पांडेय ने आगे कहा कि जिस स्कूटी से सोना बरामद होने का दावा किया गया है, वह भी जीपी सिंह या उनके परिवार के किसी सदस्य के नाम पर रजिस्टर्ड नहीं है।
एक्सटॉर्शन केस के बारे में उन्होंने कहा कि यह मामला सालों बाद बदले की भावना से दर्ज किया गया था, जो समझ से परे है। राजद्रोह के मामले में दलील देते हुए अधिवक्ता पांडेय ने कहा कि सिर्फ कुछ कटे-फटे कागजों के टुकड़ों के आधार पर जीपी सिंह पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया था, जिनसे कोई साजिश साबित नहीं होती। उन्होंने कहा कि एंटी करप्शन ब्यूरो ने भी अपनी रिपोर्ट में माना है कि कागजों की रेडियोग्राफी से कोई भी स्पष्टता नहीं मिली है। गौरतलब है कि 1994 बैच के आईपीएस अधिकारी जीपी सिंह के खिलाफ 2021 में एसीबी ने कार्रवाई की थी। उनके सरकारी आवास समेत कई ठिकानों पर छापेमारी की गई थी और 10 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति और कई संवेदनशील दस्तावेज बरामद होने का दावा किया गया था। इसके बाद जीपी सिंह पर राजद्रोह का केस दर्ज हुआ था, जिसमें उन पर सरकार गिराने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया था। जुलाई 2021 में उन्हें निलंबित कर दिया गया था और कुछ दिनों बाद उनके खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज किया गया था। इससे पहले अप्रैल 2023 में कैट (केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण) ने जीपी सिंह को बड़ी राहत देते हुए चार हफ्ते के भीतर उनके खिलाफ सभी मामलों को निपटाकर उन्हें बहाल करने का आदेश दिया था। हालांकि, जुलाई 2023 में राज्य सरकार की अनुशंसा पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी। कैट के फैसले के बाद राज्य सरकार ने उन्हें फिर से बहाल करने के लिए केंद्र सरकार से सिफारिश की थी, लेकिन केंद्र सरकार ने कैट के आदेश को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दे दी। इस मामले में सुनवाई दिसंबर में होनी है। फिलहाल, बिलासपुर हाईकोर्ट के फैसले से जीपी सिंह को बड़ी राहत मिली है।

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